प्रदेश में डेंगू रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियान नाकाफी साबित हो रहे हैं। माह भर में डेंगू मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को कहना है कि एक दशक में पहली बार इस साल सर्वाधिक 27 हजार से अधिक डेंगू के मरीज मिले हैं। जबकि वर्ष 2017 में 197 और वर्ष 2018 में 210 डेंगू मरीज मिले थे। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि फागिंग के बजाय लार्वा नियंत्रण और मच्छरदानी प्रयोग पर जोर देना होगा।
प्रदेश में डेंगू मरीजों के मिलने का सिलसिला अगस्त में शुरू हुआ था। इसके बाद फिरोजाबाद, मथुरा सहित आसपास के इलाके में बुखार से मौत होने के बाद जांच का दायरा बढ़ाया गया। अब हर जिले में मरीज मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि डेंगू से बचाव के लिए फागिंग, सैनेटाइजेशन व लार्वा नियंत्रण के अलावा लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। पर, मरीजों के मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा है। अक्तूबर में 13,972 मरीज मिले थे। नवंबर यह संख्या बढ़कर 27,109 हो गई है। जबकि पिछले साल नवंबर में यह संख्या सिर्फ 3,318 थी।
फिरोजाबाद में सर्वाधिक 5766 मरीज
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस वर्ष सर्वाधिक 5,766 डेंगू मरीज फिरोजाबाद में मिले हैं। इसके अतिरिक्त लखनऊ में 2118, मेरठ में 1621, मथुरा में 1578, प्रयागराज में 1424, झांसी में 1282, कन्नौज में 1259, गाजियाबाद में 1185, आगरा में 1075 और मुरादाबाद में 1031 मरीज मिले हैं। अन्य जिलों में एक हजार से कम मरीज मिले हैं। वहीं, डेंगू से आठ लोगों की मौत हो चुकी है।
शुरू में ध्यान नहीं देने से फैला डेंगू
शुरुआती दिनों में पूरी टीम कोविड नियंत्रण में लगी रही। डेंगू पर ध्यान नहीं दिया गया। जब यह बीमारी बढ़ी तो नियंत्रित करने की रणनीति अपनाई गई। इसी चूक का नतीजा है कि डेंगू लगातार फैल रहा है। स्वास्थ्य विभाग का फागिंग करने पर जोर है। जबकि डेंगू से बचाव के लिए एंटी लार्वा दवाओं का छिड़काव होना चाहिए। परिवार के एक भी सदस्य को बुखार आता है तो उसे मच्छरदानी में रखा जाए। इससे डेंगू का प्रसार कम होगा।
-डॉ. बद्री विशाल, पूर्व महानिदेशक स्वास्थ्य
इस साल बारिश से जलभराव अधिक हुआ। इससे मच्छरों को पनपने में मदद मिली। अब सर्दी बढ़ी है। धीरे-धीरे डेंगू का असर कम होने लगेगा। विभाग की ओर से हर स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है।