पश्चिमी उत्तर प्रदेश की देवबंद विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें हैं। मुस्लिम दीनी इदारे दारुल उलूम और सिद्धपीठ त्रिपुर बाला सुंदरी मंदिर से देवबंद की देश-दुनिया में अलग पहचान है। यहां से निकला सियासी संदेश अन्य चरणों के चुनाव में भी अहम होगा। ध्रुवीकरण के बीच भाजपा और सपा प्रत्याशियों के बीच सजातीय मतों में बिखराव रोकना भी एक चुनौती है। अभी ज्यादातर वोटर खामोश हैं। वे अभी पता कर रहे हैं कि पहले चरण में किसकी हवा चली।
भाजपा ने विधायक बृजेश सिंह को फिर से प्रत्याशी बनाया है। सपा ने पूर्व मंत्री राजेंद्र राणा के बेटे कार्तिकेय राणा को उतारा है। दोनों राजपूत हैं। बसपा से चौधरी राजेंद्र सिंह और कांग्रेस से राहत खलील ताल ठोक रहे हैं। एआईएमआईएम ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के भतीजे उमेर मदनी को प्रत्याशी बनाया है। यहां का सारा गणित इसपर टिका हुआ है कि मुस्लिम मतों में बसपा, कांग्रेस और एआईएमआईएम कौन सबसे ज्यादा सेंधमारी करता है। भाजपा का सारा जोर ध्रुवीकरण पर है।