Wednesday , February 22 2023

शिक्षा सीखने-सिखाने के साथ सोद्देश्यपूर्ण सामाजिक प्रक्रिया : वर्षारानी जायसवाल

“नवाचार से नवपरिवर्तन की ओर” पुस्तक का विमोचन

-सुरेश गांधी

वाराणसी : “नवाचार से नवपरिवर्तन की ओर” पुस्तक का विमोचन सोमवार को विकास भवन, सोनभद्र मे किया गया. इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी व जिला बेसिक शिक्षाधिकारी हरिवंश कुमार, राष्ट्रीय एवं राज्य शिक्षक पुरस्कार प्राप्त ओमप्रकाश सहित लेखिका वर्षारानी जायसवाल, प्रधानाध्यापिका- इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय कलकाली बहरा प्रथम विकासखंड दुद्धी सोनभद्र मौजूद थी. इस दौरान वर्षारानी जायसवाल ने कहा कि शिक्षा निरंतर सीखने और सिखाने के साथ ही किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्यपूर्ण सामाजिक प्रक्रिया है. इसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात अंतर्निहित शक्तियों के विकास व उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि, व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है. इस प्रकार उसे शब्द सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है. शिक्षा में बदलाव समय की मांग है. एक अध्यापक के रूप में हमें यह अवसर मिला है कि हम शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाकर अपने शिक्षक के कर्म और धर्म की सार्थकता को प्रमाणित करें.

नवाचार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है. नव प्लस आचार, अर्थात नवीन तथा आचार. इसका अर्थ है आचरण या परिवर्तन. इस प्रकार नवाचार वह परिवर्तन है जो पूर्व स्थिति व विधियों में नवीनता का संचार करता है, या परिवर्तन लाता है. सन 1971 में यूनेस्को के अनुसार नवाचार एक नूतन विचार की शुरुआत है. यह एक तकनीकी प्रक्रिया है जिसकी विस्तृत उपयोग प्रचलित व्यवहारों की तकनीकी के स्थान पर किया जाता है. नवाचार मात्र परिवर्तन के लिए परिवर्तन नहीं बल्कि इसका क्रियान्वयन और नियंत्रण प्रयोगों के आधार पर किया जाता है. शिक्षण कार्य मेरे लिए चुनौती है जो मुझे बच्चों में छिपी हुई अंतर्निहित शक्तियों को बाहर लाने के लिए प्रेरित करती है. इसके लिए मैंने नवाचारो का प्रयोग शुरू किया, बच्चों से आत्मिक संवाद स्थापित कर शिक्षण किया तो सीखना और सिखाना आनंददायक रुचकर और सहज होने लगा. बच्चों की आंखों में झांकने पर उनमें भविष्य का एक विश्वास झलकता दिखाई देता था. इस विश्वास को स्थापित करने के लिए मैं प्रयोग करती गई, बच्चे ही मेरे प्रेरणा के स्रोत रहे हैं.

भावनाओं और शब्दों को विस्तार मिलने से बच्चों के चेहरे पर आती हुई खुशी मुझे कर्म करने की प्रेरणा देती है. आदिवासी बाहुल्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को आधुनिकता की मुख्यधारा से जोड़ना एक दिवास्वप्न की तरह था. शिक्षा ही एकमात्र ऐसी कड़ी है जो उनके सपनों को पंख लगाकर आधुनिकता एवं समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकती है. विभिन्न प्रयोगों के द्वारा बच्चों के नामांकन तथा तथा शैक्षिक एवं सहस शैक्षिक उपलब्धियों तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षण में समर्थन किया. जिसके लिए विद्यालय की आधारभूत संरचना में सुधार द्वारा सामुदायिक प्रोत्साहन सामाजिक जागरूकता उत्पन्न करने के लिए समाज की गतिशीलता हेतु प्रयास किया. नामांकन बढ़ाने व ड्रॉपआउट को कम करने के लिए विभिन्न नवाचार पाठ्यक्रम आधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षण हेतु अभिनव प्रयोग में आईसीटी आधारित प्रयोग आनंददायक सीखने की तकनीक का उपयोग. शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार तथा कम लागत वाली शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोग किया. साथ ही पाठ्य सामग्री क्रिया एवं अतिरिक्त पाठ्यचर्या का विकास कर राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्रीय एकीकरण में संवर्धन हेतु विविध प्रयोग किए.

अनुप्रयोगों प्रयोग व प्रायोगिक नवा चारों का संकलन मैंने अपनी पुस्तक शिक्षा में नवाचार से शिक्षा में नवाचार से नव परिवर्तन की ओर करने का प्रयास किया है. इसका श्रेय मैं विद्यालय के सभी बच्चों शिक्षकों एवं सहकर्मीयों को देती हूं, जो एक टीम की भावना के रूप में कार्य कर रहे हैं. मैं अपने परिवार विशेषत: मेरे माता-पिता बच्चों तथा मेरे पति को देती हूं, जो स्तंभ बनकर मुझे सहयोग देते हैं. बेसिक शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों तथा अपने शिक्षकों के प्रति आभारी हूं. मैं तो निमित्त मात्र होकर अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन कर रही हूं. आशा है कि यह पुस्तक शिक्षा में नवाचार से नव परिवर्तन की ओर सभी शिक्षकों में नवीन ऊर्जा का संचार करेंगी एवं बदलते हुए मेरे भारत की न्यू को मजबूत बनाने में सार्थक सिद्ध होगी. बच्चों तथा समाज का भविष्य उज्जवल हो सके यही मेरे शिक्षण कार्य के चयन का पूर्ण फल होगा.