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अर्जुन अवॉर्ड न मिलने का था मलाल,अब सास की मदद से लिखी सफलता की कहानी

हमने अकसर सुना होता है कि एक सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है। मगर, जिंदगी में ऐसा बहुत कम दफा देखने को मिलता है कि किसी महिला की सफलता की कहानी एक पुरुष लिखे। हमारे समाज की यह विडंबना रही है कि हुनर के बावजूद, महिलाओं को प्रत्साहित करने बजाय हतोत्साहित किया जाता है।madhurika-patkar_1486455860

हालांकि, बदलते वक्त के साथ महिलाओं की सफलताओं के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। इसी क्रम में यदि किसी सफल महिला के पीछे उसके पति और सास हाथ हो, तो शायद सफलता की इस कहानी में चार चांद लग जाते हैं।

इसका सबसे ताजा उदाहरण है ठाणे की टेबल टेनिस खिलाड़ी मधुरिका पाटकर, जिन्होंने हाल ही में नेशनल चैंपियन बनकर अपना सपना पूरा किया है। सबसे खास बात यह है कि उन्होंने अपनी नई पारी की शुरुआत शादी के बाद की है।

पति और सास के उत्साह बढ़ाने के बाद से 28 वर्षीय मधु ने अपने खेल का दामन एक बार फिर थामा और बड़े आसमान की ऊंचाईयों की तरफ पहला कदम बढ़ाया। 8 साल की उम्र से टीटी खेल रही मधु के लिए यह दूसरी पारी जैसा था।

2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीत चुकी मधुरिका पाटकर का नेशनल चैंपियन बनने का सपना अब जाकर पूरा हुआ है। मधु के लिए यह जीत इस लिए खास है क्योंकि बार उनका नाम अर्जुन अवॉर्ड के लिए भेजा, मगर उन्हें यह पुरुस्कार नहीं मिला।