नई दिल्ली। तमिलनाडु में सांडों को काबू करने का प्राचीन और मशहूर पारंपरिक खेल जलीकट्टू को लेकर राज्य में आग भड़की हुई है। पोंगल के तीन दिन बाद मनाया जाने वाले इस खेल पर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कई लोगो की मौत के बाद रोक लगा दी थी। इसे लेकर सूबे के सीएम पीएम मोदी से भी मिले। लेकिन प्रधानमंत्री ने कोर्ट का हवाला देकर अपने हाथ खींच लिए।
हालांकि शुक्रवार को मोदी सरकार की अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को एक हफ्ते के भीतर इसका हल निकालने का समय दे दिया है। इस मुद्दे पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपनी राय रखी है।
हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा उठाते हुए जल्लीकट्टू के बहाने समान नागरिक आचार संहिता के पैरोकारों पर हमला बोला है. ओवैसी ने कहा है कि देश की जनता पर कोई कानून जबरन नहीं थोपा जा सकता।
ओवैसी ने शुक्रवार सुबह एक ट्वीट कर कहा कि जल्लीकट्टू पर हो रही प्रतिक्रिया से हिंदुत्ववादी ताकतों को सीख लेने के जरुरत है। पूरे देश में एक जैसी संस्कृति नहीं हो सकती. समान आचार संहिता किसी पर थोपी नहीं जा सकती है|
तमिलनाडु के युवाओं में गुस्सा हाल ही में खत्म हुए पोंगल के त्योहार पर जलीकट्टू का आयोजन न हो पाने के लिए है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में जलीकट्टू के आयोजन पर मई 2014 में रोक लगा दी थी,
पीएम मोदी ने कहा कि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है लेकिन वह इस पर्व के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को समझते हैं। पन्नीरसेल्वम में पीएम मोदी से मिलने के बाद मीडियाकर्मियों से कहा,’पीएम मोदी ने जलीकट्टू के आयोजन को हरी झंडी फिर से दिए जाने के मामले में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। जलीकट्टू के मामले पर मैंने और शशिकला ने पीएम से अध्यादेश लाने के लिए लिखित अपील की है|