नई दिल्ली। बहुत कुछ कहने की जरूरत नहीं मालूम दे रही है, क्योंकि यह अखबार की कटिंग हर बात और देश की राजनीति की कहानी बयां कर रही है। किसी एक जगह पर अगर 96 फीसदी हिंदू वोट करता है तो उससे यह साफ हो जाता है कि हिंदू अब जागरुकता बढ़ रही है। यह जुनून सेक्यूलर और घिनौने नेताओं को आगाह करता है कि अब उनकी खैर नहीं है।
वो सभी नेता जिन्होंने 1947 के बाद से हिंदुओं से गलत बर्ताव किया, टैक्स लगाया, हिंदू मंदिरों को लूटा और खुद मौज की। अब उनके दिन बीत गए हैं। अब हर तरफ एक राज्य और साम्राज्य होगा। हिंदू देश में 82 फीसदी की हैसियत रखता है, वहीं मुस्लिम मात्र 18 फीसदी। लेकिन फिर भी यह छोटी सी तादाद देश को दीमक की तरह खोखला करती जा रही है।
यह अखबार की कटिंग जो कि अमर उजाला अखबार की है। वो हमें इन दीमकों से आजाद करने की एक उजली किरण के समान नज़र आ रही है जो उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में आने वाले चुनाव के नतीजों को बयां करती है।
हिंदू जब एक हुआ तो क्या हुआ उसके कुछ किस्से
-रामपुर में जहां 51 फीसदी मुस्लिम है और हिंदू अल्पसंख्यक है। वहां 2014 में बीजेपी सरकार बनी और मुस्लिमों को करारी हार का सामना करना पड़ा। यह सब नतीजा था एकजुटता का जो आज रामपुर में हिंदू सांसद है।
अब यह किस्सा बताता है कि जब हिंदुओं की सबसे बड़ी कमी दूर होती है तो परिणाम क्या होता है। भारत सही मायने में भारत बने इसके लिए हिंदू को एक होकर लड़ाई लड़नी होगी। देश को राष्ट्र बनाने में अब इतनी मशक्कत तो 82 फीसदी हिंदुओं को करनी ही पड़ेगी।