Friday , February 3 2023

मायावती की राजनीति खत्म हुई, मेरा संकल्प पूरा हुआ : स्वामी प्रसाद मौर्य

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लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में सूपड़ा साफ होने के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए विधानसभा चुनाव करो या मरो वाला था. लेकिन, इस पूरी लड़ाई में मायावती अपनी बाजी हार गई हैं. अब मायावती को आत्मचिंतन करना चाहिए और अतिपिछड़ो को पार्टी से जोड़ना चाहिए ‘

लोकसभा चुनाव के वक्त बीएसपी का खाता तक नहीं खुला था. अब विधानसभा चुनाव में सफाए के बाद बहन जी कुछ इस कदर खिसिया गई हैं कि सबका मुंह नोचने पर उतारू हैं. उन्होंने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा कर दिया . जबकि मायावती से गैर जाटव वोट बैक यानी दलित आबादी का बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ आ गया ,

 बौखलाईं मायावती  

चुनाव से ठीक पहले नोटबंदी के फैसले के बाद मायावती की बौखलाहट देखने को मिल रही थी. अब नतीजे आने के बाद ये बौखलाहट कुछ और बढ़ गई है.

रिजल्ट आने के पहले बड़े-बड़े दावों की पोल खुलने के बाद अब मायावती को अपने भविष्य की चिंता है . लोकसभा में हाथी का खाता तक नहीं खुला. वहीं अब विधानसभा में तो चेहरा ढकने लायक भी सीटें नहीं दिख रहीं. फिलहाल यूपी में हाथी बैठ गया है.

हालांकि, चेहरा छुपाने के बजाए मायावती सबसे पहले सामने आईं तो जरूर लेकिन, एक मंझे हुए राजनेता की तरह जनादेश को स्वीकार करने के बजाए कुछ इधर-उधर की बातें करती नजर आईं. ये मायावती की बौखलाहट है या फिर हार हताशा में दिया गया बयान संकेत तो अच्छे नहीं लग रहे.

माया की सीधी बात

मीडिया से रू-ब-रू मायावती ने हार को मानने के बजाए सीधे बात शुरु कर दी ईवीएम मशीन की गड़बड़ी को लेकर.

मायावती ने आरोप लगाया कि ‘इस बार चुनाव में ईवीएम में केवल बीजेपी के ही वोट दर्ज हुए हैं. ईवीएम पर सवाल खड़ा करते हुए मायावती ने यहां तक कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त भी ईवीएम मशीन को लेकर सवाल खड़े हुए थे और इस पर शक जताया गया था.’

मायावती को लगा सदमा

लेकिन, बमुश्किल दहाई का आंकड़ा पार करने वाली मायावती के लिए विधानसभा चुनाव की हार किसी सदमे से कम नहीं है.

दलित वोटबैंक की सियासी जमीन पर बीएसपी ने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया.

बाद में बहुजन के बजाए सर्वजन का नारा देकर मायावती ने वो करिश्मा कर दिखाया जो कि यूपी ही नहीं देश की राजनीति में भी किसी चमत्कार से कम नहीं था.