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इस बार मछुआरे तय करेंगे केरल विधानसभा चुनाव का रुख, राहुल गांधी ने भी पकड़ी समुंद्र में मछली

केरल विधानसभा चुनाव का रुख इस बार मछुआरे तय करेंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने समुंद्र में मछली पकड़कर और उनके लिए अलग मंत्रालय की मांग कर मछुआरों और उनकी समस्याओं को चुनाव के केंद्र में ला दिया है। यही वजह है कि मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय की मांग को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं, वही लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार भी उन्हें लुभाने में कोई कसर नहीं छोड रही है।

यह पहला ऐसा चुनाव है, जिसमें मछुआरों से जुड़े मुद्दे प्रचार का अहम हिस्सा हैं। राहुल गांधी ने मछुआरों के साथ मछली पकड़ने के साथ उनके लिए अलग मंत्रालय बनाने की मांग की। इसके साथ उन्होंने केरल चुनाव में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के मछुआरों के लिए अलग घोषणा पत्र बनाने का भी ऐलान करने में भी देर नहीं की। क्योंकि, राहुल गांधी जानते हैं कि विधानसभा चुनाव में इस बार मछुआरे अहम भूमिका निभाएगें।

केरल के तटीय क्षेत्रों में 47 विधानसभा सीट हैं। इन सीट पर हार-जीत का फैसला मछुआरा समुदाय करता है। इनमें से अधिकांश इस वक्त एलडीएफ के पास हैं। दक्षिण केरल में ज्यादातर मछुआरे ईसाई और मुसलिम हैं। पारंपारिक तौर पर यूडीएफ के साथ रहे, पर पिछले विधानसभा चुनाव के बाद लगातार एलडीएफ को वोट कर रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी की पूरी कोशिश अपने खोए हुए जनाधार को हासिल करना है।

मछुआरा समुदाय एलडीएफ सरकार के अमेरिका की कंपनी के साथ गहरे समुंद्र में मछली पकड़ने के अनुबंध से नाराज हैं। मछुआरों का मानना है कि वह पहले ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। गहरे समुंद्र में मछली पकड़ने की योजना से उनकी आजीविका खत्म हो जाएगी। मछुआरों की समस्याओं का चुनाव प्रचार का मुद्दा बनने से एलडीएफ बैक्रफुट पर है। ऐसे में मछुआरा समुदाय एक बार फिर यूडीएफ की तरफ लौट सकता है।

केरल के साथ तमिलनाडु और पुडुचेरी में भी मछुआरा समुदाय है। तमिलनाडु में एक दर्जन से अधिक सीट ऐसी है, जहां मछुआरे हार जीत का फैसला करते हैं। पुडुचेरी में भी पांच-छह सीट पर मछुआरा समुदाय का असल है। ऐसे में राहुल गांधी के केरल में मछुआरों के साथ मछली पकड़ने का इन प्रदेशों की सीट पर भी असर पड़ेगा। लिहाजा, विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस मछुआरों से जुडे मुद्दों को और तरजीह देगी।