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योगी का यूपी : 11 साल में कई निजाम बदले पर नहीं बन सका 157 किमी लखनऊ-दिल्ली हाईवे

इसे खराब प्रबंधन या अवाम की दुश्वारियों की उपेक्षा के सिवा शायद ही कुछ और कहा जा सके। 11 साल में कई निजाम आए-गए, पर लखनऊ-दिल्ली हाईवे (एनएच-30) का 157 किमी हिस्सा आज तक पूरा नहीं हो सका। निर्माण कार्य के नाम पर सिर्फ समीक्षाएं हुईं। तारीख पर तारीख मिलीं। पर आज भी राजमार्ग पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। जाम डरावनी हकीकत है। इंतजामियां मौन हैं और राहगीर हलकान। 

एनएच-30 को बिल्ड, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओटी) मोड में फोरलेन करने के लिए 2010 में टेंडर किए गए थे। सीतापुर से बरेली के बीच वन विभाग व प्रदेश सरकार की एनओसी न मिलने के कारण यह प्रोजेक्ट लगातार अटकता गया। जबकि, लखनऊ से सीतापुर और बरेली से दिल्ली के बीच सड़क निर्माण का कार्य काफी पहले ही पूरा हो चुका है। सीतापुर से बरेली के बीच ठेका लेने वाली कंपनी एरा इन्फ्रा को एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल) के दिवालिया घोषित कर देने से यह प्रोजेक्ट बुरी तरह से फंस गया था। 

लखनऊ से सीतापुर, लखीमपुर खीरी का ग्रामीण क्षेत्र, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद और अमरोहा होते हुए दिल्ली को जोड़ने वाला यह प्रमुख मार्ग है। कुल 510 किलोमीटर लंबी इस सड़क का सीतापुर से बरेली के बीच 157 किलोमीटर हिस्सा एक दशक से ज्यादा समय से काफी खराब हालत में है। अक्तूबर, 2019 में इसके निर्माण के लिए नए सिरे से टेंडर फाइनल किए गए। निर्माण काम सिद्धार्थ कंस्ट्रक्शन व दो अन्य फर्म्स के संयुक्त उपक्रम को दिया गया है। सड़क की कुल लागत 800 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसके अलावा 50 करोड़ की लागत से शाहजहांपुर के कटरा रेलवे क्रासिंग पर फ्लाईओवर बनाने का निर्णय भी लिया गया, क्योंकि इस सड़क पर यह स्थान बॉटल नेक (जाम का सबब) बन गया है।

अनुबंध के अनुसार, कांट्रैक्टर को 31 मार्च, 2021 तक सड़क को फोरलेन बनाकर देना था। लेकिन, कोविड संकट के कारण केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 9 महीने का समय और दे दिया। यानी, दिसंबर तक काम पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। लेकिन, एनएचएआई के अफसर भी स्वीकार कर रहे हैं कि जिस धीमी रफ्तार से काम हो रहा है, उससे काम मार्च 2022 तक काम पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है। स्थिति का अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि मार्ग पर गड्ढे भरने तक का काम नहीं हो रहा है। इसी तरह कटरा रेलवे क्रासिंग पर फ्लाईओवर का काम छह माह में पूरा करना था, जिसकी समय सीमा दिसंबर 2020 में खत्म हो चुकी है। इसके बावजूद काम अभी तक अधूरा ही है।

अन्य विकल्पों पर कर सकते हैं विचार
यह बात सही है कि हम तय समय सीमा 31 मार्च तक निर्माण कार्य पूरा नहीं कर सके। कोविड भी एक वजह रही। यह कार्य हम आईटम रेट पर करा रहे हैं। अगर ठेकेदार काम में तेजी नहीं लाया तो अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।
 – अमित रंजन चित्रांशी, परियोजना निदेशक, एनएचएआई, बरेली

गडकरी से की है बात
राष्ट्रीय राजमार्ग का सीतापुर-बरेली के बीच का हिस्सा ठीक न होना हमारे लिए काफी चिंता का विषय है। यह सड़क एनएचएआई के अंतर्गत है, इसलिए मैंने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से बात की है। निर्माण कार्य तेज करने के लिए सभी संभव उपायों पर काम करने का भरोसा भी उन्होंने दिया है। यकीन है कि जल्द परिणाम देखने को मिलेगा।