राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से चली आ रही सियासी उथल-पुथल के बाद रविवार को कैबिनेट का विस्तार किया गया, लेकिन अब विभागों के बंटवारे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कुछ मंत्री विभागों के बंटवारे से खुश नहीं हैं। ऐसे में मंत्रालयों का बंटवारा अब दिल्ली से होगा। दरअसल, कैबिनेट बदलाव के बाद माना जा रहा था कि ये अंदरूनी कलह शांत हो जाएगी पर ऐसा होता दिख नहीं रहा। रविवार को मंत्रियों को शपथ लेने से पहले सचिन पायलट ने भी साफ कर दिया था कि राजस्थान कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है, हम सभी एक साथ मिलकर 2023 का चुनाव जीतेंगे, लेकिन मंत्री पद की शपथ के बाद ही विभागों के बंटवारे पर खींचतान शुरू हो गया।
सचिन पायलट के करीबी विधायक बृजेंद्र सिंह ओला ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन कुछ ही देर बाद उन्होंने ये शिकायत दर्ज कराई कि वो चार बार के विधायक हैं, फिर भी उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया, जबकि दो बार के विधायकों को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
बंटवारे पर आला कमान लेगा फैसला
प्रदेश प्रभारी अजय माकन सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ मुलाकात कर साथ विभागों के बंटवारे को लेकर चर्चा करेंगे। फिर अशोक गहलोत से इस पर बात की जाएगी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, गहलोत इस पक्ष में हैं कि जिन मंत्रियों के पास पहले जो मंत्रालय था, उन्हें वहीं दिया जाए, जबकि नए मंत्रियों को खाली मंत्रालय दिए जाएं, लेकिन इस पर पायलट गुट के विधायक सहमत नहीं हैं।
निर्दलीय विधायकों की नाराजगी दूर
वहीं, मंत्रियों की शपथ के बाद देर रात निर्दलीय विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत ने सभी निर्दलीय को अपना सलाहकार नियुक्ति किया। माना जा रहा है कि बीएसपी से आए विधायकों को भी संसदीय सचिव बनाकर उनका असंतोष दूर किया जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ आलाकमान चाह रहा था कि संसदीय सचिव की सूची में 2-3 नाम पायलट खेमे के भी हों।