वायु मंडल में समाए प्रदूषण के कारण लोगों के फेफड़े काले हो रहे हैं। थूकने पर बलगम काला निकल रहा है। इसके साथ ही सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के रोगियों को सेकेंडरी संक्रमण भी हो रहे हैं। इससे दो और रोगियों की मौत हो गई है।
इसके साथ प्रदूषण के कारण सांस की दिक्कत क्रोनिक रोगियों पर भारी पड़ रही है। हैलट में गुर्दे, लिवर फेल के रोगियों को भर्ती किया गया। सीओपीडी के रोगी वेंटिलेटर पर हैं। हैलट ओपीडी में सांस के रोगियों की भरमार रही। इसके साथ ही सीओपीडी, अस्थमा रोगियों की हालत बिगड़ी।
एक सीओपीडी के रोगी के फेफड़ों में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा अधिक हो जाने के कारण उसे हैलट इमरजेंसी में वेंटिलेटर पर रखा गया है। रोगी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. जेएस कुशवाहा के अंडर में हैं। उन्होंने बताया कि कुछ रोगियों के गुर्दे और लिवर फेल हैं।
दो महिलाओं समेत तीन रोगियों को ब्रेन अटैक पड़ा। ओपीडी स्तर पर इलाज करा रहे दो रोगियों की मौत हो गई। इनमें कल्याणपुर के रहने वाले विवेक कनौजिया (58) की सीओपीडी से मौत हुई। उनके बेटे राजेश ने बताया कि उन्हें निमोनिया भी हो गया था।
इसी तरह बाबूपुरवा के चमड़ा कारीगर निजाम (55) की सीओपीडी से मौत हुई। उनके गुर्दे भी खराब हो गए थे। इससे पहले रविवार को भी दो मरीजों की मौत हुई थी। सीओपीडी के अटैक के साथ ही इनके शरीर में भी कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ गई थी। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. एसके कटियार ने बताया कि प्रदूषण से दिक्कत बढ़ी है। जो रोगी बॉर्डर लाइन पर रहे हैं, उन्हें आक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है।