22 अगस्त 2011 की दोपहर। कस्बा खैर की ब्लॉक कालोनी में पेशे से प्रापर्टी डीलर केदार सिंह के मकान के अंदर का लोमहर्षक दृश्य। जिसे याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं और रोंगटे खड़े हो जाते हैं। घर की रसोई में चार-चार लाशें पड़ी थीं और प्रापर्टी डीलर केदार सिंह गायब थे। हालांकि, 24 अगस्त को ही यह साफ हो गया था कि केदार सिंह की हत्या कर शव बरहन में फेंका गया है और 13 अगस्त को बरहन पुलिस ने शव बरामद कर लिया है।
उस समय पूरे परिवार के खात्मे की इस घटना ने खैर को हिलाकर रख दिया था। इधर, सोमवार को जब अभियोजन पक्ष ने आरोपियों का इस लोमहर्षक कांड में फांसी की सजा की अपील की तो हत्यारों के पैरों तले जमीन खिसक गई। हालांकि, न्यायालय ने आरोपियों को कठोरतम उम्रकैद व अधिकतम जुर्माने से दंडित कर नजीर पेश की है। इस फैसले को लेकर दीवानी में सोमवार को कौतूहल रहा।
सिर्फ दो लाख मांगने और मकान हड़पने के लिए की हत्याएं
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पुलिस की जांच में उजागर हुआ था कि केदार के कोई अन्य भाई नहीं है। वह अपने गांव की पैतृक 20 बीघा संपत्ति बेचकर बच्चों को पढ़ाने के इरादे से खैर में बस गए थे। यहां उन्होंने प्रापर्टी डीलिंग का व्यापार शुरू कर दिया था। इसी बीच चंद्रवीर ने किसी जरूरत पर केदार सिंह से दो लाख रुपये उधार लिए थे। तय समय बीतने पर जब केदार व उनकी पत्नी ने चंद्रवीर से रुपये वापस मांगे तो उसी दिन से चंद्रवीर की नीयत बिगड़ गई।
वह 12 अगस्त को केदार को अपने साथ किसी बहाने से ले गया। उस समय रोहित व एक नाबालिग आरोपी भी उनके साथ गए। फिर केदार नहीं लौटा। जांच में खुलासा हुआ कि केदार की हत्या कर शव आगरा के बरहन में फेंका गया। बाद में परिवार के अन्य सदस्यों को इसलिए मारा गया कि केदार के कोई भाई या अन्य वारिस नहीं हैं। परिवार के सभी सदस्यों को मारकर उनके मकान व संपत्तियों पर फर्जी वसीयत/बैनामे के आधार पर हम लोग कब्जा कर लेंगे।
अपहरण-हत्या में पहले भी तीनों को हो चुकी है उम्रकैद
अभियोजन पक्ष के अनुसार इस हत्याकांड में दोषी करार दिए गए तीनों आरोपी चंद्रवीर, रोहित व राजीव इगलास के एक अन्य अपहरण व हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पा चुके हैं। हालांकि राजीव को जमानत मिल गई थी, मगर चंद्रवीर व रोहित जेल में ही थे। उस घटना में राजीव ने किसी का डेढ़ लाख रुपये का बिल कम कराने के नाम पर उसे रुपये लेकर अपने पास बुलाया था और तीनों ने मिलकर उसकी हत्या कर रुपये हड़प लिए थे। इस हत्याकांड में तीनों को करीब तीन वर्ष पूर्व सजा सुनाई गई थी।
घर में रात को खाना खाया, फिर की हत्या
अभियोजन पक्ष के अनुसार, न्यायालय में पुलिस स्तर से पेश किए गए साक्ष्यों व गवाहों से पता चला कि 18 अगस्त की रात चंद्रवीर, रोहित व एक नाबालिग आरोपी केदार सिंह के घर पर आए थे। उन्होंने यहां खाने की पेशकश की। इस पर केदार की पत्नी हेमलता ने चंद्रवीर से कहा कि बाजार से सब्जी खरीद लाओ। उस समय हेमलता का भाई भी वहां मौजूद था। उस समय इन तीनों से पूछा कि केदार को तुम साथ ले गए थे, वह कहां है।
उन्होंने बताया कि वह सादाबाद से उनसे किसी काम की कहकर अलग हो गया और फिरोजाबाद जाने की कहकर गया था। यह सुनकर खाना खाने के बाद हेमलता का भाई अपने गांव लौट गया था, जबकि तीनों आरोपियों को वह वहीं छोड़ आया था। इसके बाद 19 अगस्त से हेमलता का फोन नहीं लगा और 22 अगस्त को हत्या होना उजागर हुआ। इससे साफ हुआ कि इन तीनों ने वहीं खाना खाकर रात में चारों की हत्या कर शव रसोई में बंद कर दिए थे।
बेरहमी से किए गए थे चारों के कत्ल
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पोस्टमार्टम के दौरान चारों शवों को लेकर उजागर हुआ था कि ये हत्याएं 4 से 5 दिन पहले की हैं। शरीर सड़न और कीड़े युक्त हैं। बाल, नाखून आसानी से उखड़ रहे थे। आंखें बाहर निकली हुई थीं। उनका कुछ हिस्सा कीड़ों ने खा लिया था। गर्दन के दोनों ओर मांसपेशियों में खून जमा था, मांस पेशी रुंधी थीं। दोनों फेंफड़े सड़े, गले की हड्डी के दोनों कॉर्न टूटे थे। लिवर व तिल्ली भी सड़े थे। इससे साफ हुआ कि चारों को गला ऐंठ यानि गर्दन मरोड़ कर मारा गया था।
ये थी हत्या के पीछे पूरी साजिश
अभियोजन पक्ष के अनुसार, गवाहों ने बताया था कि 12 अगस्त से गायब केदार को तलाशते हुए 16 अगस्त को उसके परिवार के भाई इगलास पहुंचे। जहां उन्होंने चंद्रवीर के आवास पर मौजूद राजीव सहित सभी आरोपियों की बातचीत सुनी। उनकी बातचीत से पता चला कि चंद्रवीर, रोहित व नाबालिग ने केदार की हत्या कर दी है। अब राजीव ने उन्हें सलाह दी कि बाकी को मारकर आओ, उनकी संपत्ति के बैनामे आदि के कागज लेते आना। उनकी संपत्ति को हम अपने नाम कर लेंगे। किसी को पता भी नहीं चलेगा। राजीव ने कहा था कि आधी संपत्ति वह अपने पास रखेगा।
न्यायालय का मत
‘प्रकरण में अभियुक्तगण द्वारा पांच हत्याएं की गई हैं। अपराध की जघन्यता सजा को निर्धारण करने में एक सुसंगत घटक होती है। न्यायालय को सजा का निर्धारण करते समय सभी सुसंगत तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए तथा सजा अपराध के अनुसार होनी चाहिए। केवल अपराधी के अधिकार को ध्यान में नहीं रखना चाहिए, बल्कि समाज को भी देखना चाहिए।
अनावश्यक उदारता दिखाने से समाज का न्याय व्यवस्था से विश्वास डिगता है, जो अपराध कारित किया गया है उसके द्वारा पांच लोगों की हत्याएं की गई हैं, पूरा परिवार समाप्त कर दिया गया है। अभियुक्तगण ऐसी स्थिति में उदारता के पात्र नहीं हैं। मृतक न्याय के लिए नहीं चिल्ला सकता, उसको न्याय देना न्यायालय का कर्तव्य है।’
अभियोजन पक्ष की फांसी की अपील
अभियुक्तगण ने पांच हत्याएं की हैं, जिसमें दो बच्चे भी शामिल हैं। बच्चों ने अभियुक्तगण का क्या बिगाड़ा था। अभियुक्तगण ने पूर्व में भी एक हत्या की थी, जिसमें सजा पा चुके हैं। अभियुक्तगण का यह अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है। अत: अभियुक्तगण को फांसी की सजा से दंडित किया जाए।
बचाव पक्ष की ये रही दलील
चंद्रवीर के अधिवक्ता ने कहा कि अभियुक्त लगातार जिला कारागार में निरुद्ध हैं। उसकी कोई ऐसी शिकायत नहीं है कि उसने जेल में रहकर उदंडता की हो। चंद्रवीर का विवाह 28 जून 2011 को हुआ था। उसकी पत्नी के दांपत्य अधिकारों का हनन हो रहा है। अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता है। अत: सजा सुनाते समय नरम रुख अपनाना चाहिए। इसी तरह रोहित के अधिवक्ता ने कोई पैरोकार न होने की दलील देकर कम सजा व कम से कम अर्थदंड की अपील की। राजीव के अधिवक्ता ने कहा कि उसके घर में कोई देखभाल करने वाला नहीं है। इसलिए कम से कम सजा व अर्थदंड नियत किया जाए।
इस तरह सुनाई गई सजा
- चंद्रवीर व रोहित को हत्या व अपहरण में उम्रकैद व 1.20-1.20 लाख रुपये का जुर्माना
- राजीव को हत्याकांड की साजिश में उम्रकैद व 50 हजार रुपये जुर्माना
ये रहे अहम गवाह
- वादी किशन सिंह, जिसने मुकदमा दर्ज कराया।
- वादी का बेटा अमर सिंह, जिसने 18 अगस्त की रात तीन आरोपी अपनी बहन के घर छोड़े।
- मृत केदार का चचेरा भाई सिंहपाल सिंह, जिसने चंद्रवीर के घर साजिश के साक्ष्य बताए थे।
- डॉ. वी कुमार, घर में मिली चार लाशों के पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर।
- थानाध्यक्ष भीम सिंह जावला, तत्कालीन एसओ, जिन्होंने विवेचना की थी।
इस लोमहर्षक हत्याकांड की सुनवाई पिछले कई साल से चल रही थी। जिसमें मैं खुद लगातार अभियोजन की पैरवी कर रहा था। आज आरोपियों को सजा सुनाई गई है। हालांकि हमने अपील फांसी की की थी। मगर न्यायालय ने कठोरतम सजा व अधिकतम अर्थदंड से दंडित किया है। यह एक नजीर बनेगी। – अमर सिंह तोमर, एडीजीसी
दिन रात किया था एक, आज फैसला सुनकर अच्छा लगा : सत्येंद्रवीर सिंह
जिस वक्त ये घटना हुई, उस समय सत्येंद्रवीर सिंह यहां के एसएसपी थे। उन्होंने लोमहर्षक हत्याकांड के खुलासे के लिए खुद खैर में कैंप किया था और दिन रात एक कर टीमों को दौड़ाकर साक्ष्य जुटाते हुए खुलासा किया। जब तक तथ्यों से संतुष्ट नहीं हो गए, तब तक वे पीछे नहीं हटे। सबसे पहले आरोपी के रूप में रोहित की गिरफ्तारी हुई। इसके बाद एक-एक कर अन्य गिरफ्तारियां की गईं।
आज जब उन्हें खबर मिली कि तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है तो वे बोले, खुशी तो नहीं कह सकते कि एक पूरा परिवार खत्म हुआ था। मगर हां, सुनकर अच्छा जरूर लगा कि चलो कम से कम हत्यारों को सजा मिल गई। बता दें कि सत्येंद्रवीर सिंह बाद में यहां डीआईजी रहे और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।