Friday , February 10 2023

पीएम ने याद किया, इससे बड़ी खुशी की बात और क्या होगी : बसंती दीदी

पिथौरागढ़। इस साल की पहली मन की बात और इसकी 85वीं कड़ी में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुनीं गईं पिथौरागढ़ की बसंती देवी के काम का जिक्र किया। इससे बसंती दीदी काफी खुश हैं। वह कहतीं हैं कि प्रधानमंत्री ने उन्हें याद किया, इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है।
रविवार को मन की बात कार्यक्रम में बसंती दीदी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पद्म पुरस्कार पाने वालों में कई ऐसे नाम हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये हमारे देश के अनसंग हीरो (जिनके बारे में पहले कभी सुना न गया हो) हैं, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में असाधारण काम किए हैं। पीएम ने कहा कि बसंती देवी ने अपना पूरा जीवन संघर्षों के बीच जीया है। कम उम्र में ही उनके पति का निधन हो गया था और वह एक आश्रम में रहने लगीं। यहां रहकर उन्होंने नदी को बचाने के लिए संघर्ष किया और पर्यावरण के लिए असाधारण योगदान दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि उन्होंने महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए भी काफी काम किया है।
बता दें कि बसंती दीदी इन दिनों अपने भाई भूपेंद्र सिंह सामंत के परिवार के साथ पिथौरागढ़ शहर के हाईडिल- रोडवेज वर्कशॉप के समीप रहती हैं। रविवार को उन्होंने भी प्रधानमंत्री की मन की बात सुनीं। बसंती दीदी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें और उनके काम को याद किया, इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है।
10 वर्ष की आयु में विवाह, 12 साल में हो गईं विधवा
पिथौरागढ़। मूल रूप से पिथौरागढ़ के कनालीछीना विकासखंड के दिगरा गांव निवासी कुंवर सिंह सामंत और तुलसी देवी की पुत्री बसंती देवी का विवाह लगभग 10 वर्ष की उम्र में ही ख्वांकोट गांव में हुआ था। शादी के दो साल बाद ही 12 वर्ष की उम्र में वह विधवा हो गईं। इसके बाद वह कौसानी स्थित आश्रम चली गईं और वहीं से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की। 2003 में अमर उजाला में छपे एक लेख ने उनके जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर दिया और वह कोसी नदी, वन और पर्यावरण को बचाने के लिए निकल पड़ीं। उन्होंने गांव-गांव जाकर महिलाओं और ग्रामीणों को समझाया। इसके बाद लोगों ने लकड़ियों के लिए हरे पेड़ काटने बंद कर दिए। लोग जंगलों में गिरी पुरानी लकड़ी को ही जलाने के लिए प्रयोग में लाने लगे। इसका असर यह हुआ कि जंगल हरे भरे होने लगे और जो झरने गर्मियों में सूख जाया करते थे, वे फिर से वर्ष भर बहने लगे।
कई पुरस्कारों से सम्मानित
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए गए बसंती देवी के कार्यों को देखते हुए मार्च 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में नारी शक्ति पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया। 11 जनवरी 2016 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने उन्हें देवी पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्हें पर्यावरण के लिए फेमिना वूमन जूरी अवार्ड -2017 दिया गया। इस वर्ष उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

new