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चिंता: कोरोना से ठीक होने के बाद फिर संक्रमित मिल रहे मरीज, मैक्स सहित चार बड़े अस्पतालों में सामने आए केस

महामारी की एक और लहर का पीक निकलने के बाद कोरोना संक्रमण को लेकर नए हालात सामने आने लगे हैं। एक तरफ संक्रमण से ठीक होने के चंद दिन बाद ही फिर से लोगों में वही लक्षण देखने को मिल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे लेकर अलग अलग आशंका भी जता रहे हैं। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने यहां तक कहा है कि इतनी जल्दी लोगों का दोबारा संक्रमित होना संभव नहीं है। हालांकि इनका कहना है कि 10 से 12 दिन में अगर फिर से लक्षण मिलते हैं तो वह पहले वाला ही संक्रमण है जो पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।

जानकारी के अनुसार दिल्ली में बीते एक सप्ताह के दौरान करीब एक दर्जन स्वास्थ्यकर्मी फिर से संक्रमित मिले हैं। इनमें से दो डॉक्टर मैक्स साकेत अस्पताल में कार्यरत हैं। वहीं लोकनायक, जीटीबी और एक अन्य प्राइवेट अस्पताल में भी स्वास्थ्यकर्मी संक्रमण से रिकवर होने के महज 10 से 12 दिन बाद फिर से सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण ग्रस्त मिले हैं। इनमें से तीन संक्रमित भी मिले हैं। हालांकि अस्पतालों की ओर से आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई है।

आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. निवेदिता गुप्ता का कहना है कि अगर किसी को एक बार संक्रमण हुआ है और उसके बाद वह निगेटिव होता है तो ऐसा व्यक्ति 102 दिन बाद फिर से जांच कराता है तो वह संक्रमित हो सकता है। उसे री इंफेक्शन की श्रेणी में गिना जा सकता है। डॉ. गुप्ता का कहना है कि अभी 10 से 12 दिन में जिन लोगों को दोबारा से लक्षण मिल रहे हैं उन लोगों में वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इसलिए यह दोबारा से निगेटिव होने के बाद अपना असर दिखा रहा है।

वहीं दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. धीरेन गुप्ता ने बताया कि उनके यहां भी कुछ मामले ऐसे सामने आए हैं। हालांकि अभी तक इसे लेकर बहुत अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है। इनके सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग भी आवश्यक है। साथ ही वैज्ञानिक तौर पर भी सबूत आना बाकी हैं। तब तक के लिए महामारी विशेषज्ञों को इसके बारे में पता लगाना चाहिए।

मैक्स साकेत अस्पताल से जानकारी मिली है कि दोनों मामलों में कोविड सैंपल लेने के बाद जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं। इनकी रिपोर्ट आने के बाद यह पता चल जाएगा कि ऐसा कोरोना वायरस के किस वेरिएंट की वजह से हो रहा है। अभी देश में ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो म्यूटेशन देखने को मिल रहे हैं जिनमें से बी.2 नामक म्यूटेशन काफी तेजी से फैलने की क्षमता रखता है।

निगेटिव होने के बाद भी तीन महीने तक असर
डॉ. निवेदिता ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी वायरस का असर पूरी तरह से खत्म नहीं होता है। कई बार पुराने दिनों में यह भी देखा गया है कि संक्रमण से ठीक होने के बाद भी लोगों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आती है क्योंकि उनमें वायरस मृत अवस्था में होता है। जब तक दवाओं के जरिए वह साफ नहीं होता तब तक दिक्कत आती है। इसी के चलते आईसीएमआर ने री इंफेक्शन यानी पुन: संक्रमण को लेकर दिशा निर्देश भी बनाए हैं जिसके तहत 102 दिन बाद फिर से जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही उसे पुन: संक्रमण की श्रेणी में रखा जा सकता है।

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