वर्ष 2016 में सूबेदारगंज स्थित टैंक डिपो के पास जितेंद्र कुमार उर्फ मुन्ना की हुई हत्या के मामले में पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद की जमानत अर्जी विशेष न्यायालय एमपीएमएलए कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए याची जमानत पाने का हकदार नहीं है।
लिहाजा, जमानत अर्जी खारिज किए जाने योग्य है। यह आदेश विशेष न्यायाधीश एमपीएमएलए कोर्ट डॉ. दिनेश चंद्र शुक्ला ने सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार वैश्य और विशेष लोक अभियोजक वीरेंद्र कुमार सिंह को सुनकर दिया।
अभियोजन के अनुसार सूरज कली की ओर से 11 जुलाई 2016 को धूमनगंज में अपने पुत्र जितेंद्र कुमार उर्फ मुन्ना की हत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उसका आरोप था कि मकान को लेकर उसका विवाद जयंतीपुर निवासी कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल से चल रहा था। मामले में सिविल न्यायालय में मुकदमा विचारधीन था।
मुकदमे में पैरवी करने पर हत्या का आरोप
उसका बेटा जितेंद्र कुमार मुकदमे की पैरवी कर रहा था। लेकिन विरोधी पक्ष की ओर से लगातार उसे मुकदमे की पैरवी न करने और जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। 11 जुलाई 2016 को उसका बेटा जितेंद्र कुमार मुकदमे की पैरवी के बाद राजरूपपुर से होते हुए एनसीआर जा रहा था। रास्ते में सूबेदारगंज में टैंक डिपो के पास कृष्ण कुमार का भाई रमेश पाल और अशरफ पुत्र मकूल हटवा निवासी ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी।
विवेचना के दौरान आया पूर्व सांसद का नाम
मामले में पुलिस की विवेचना के दौरान पूर्व सांसद अतीक का नाम भी सामने आया। पुलिस ने अतीक को भी हत्या में अभियुक्त बना लिया। याची की ओर से कोर्ट के समक्ष तर्क दिया गया कि याची पूर्व सांसद व कई बार विधायक रहा है। उसे मामले में सियासी रंजिशवश फंसाया गया है। मामले में विवेचक द्वारा वीरेंद्र यादव व सूरज पाल के बयान के बाद याची का नाम जोड़ा गया। याची मामले में पूरी तरह निर्दोष है।
अभियोजन की ओर से तर्क दिया गया कि याची के खिलाफ 47 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसके द्वारा किया गया अपराध गंभीर प्रकृति का है। अदालत ने कहा कि याची पर मुकदमे की पैरवी न करने की बात को लेकर अपने साथियों के साथ मिलकर हमला करने का आरोप है। आरोप पत्र अभियुक्त के खिलाफ पेश किया गया है। लिहाजा वह जमानत पाने का हकदार नहीं है।