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Indian Railway: 45 हजार यात्री परेशान, कर रहे महंगा सफर, दो साल बाद भी नहीं चलाई जा रहीं मेमू ट्रेनें

सार

रेलवे की गुगली : मेमू चलाने का प्रस्ताव पहले अटका रहा…रेलवे बोर्ड की हरी झंडी मिली तो अफसर कह रहे-नए रैक आने के बाद ही चलेगी। पर…रैक कब आएंगे, इस सवाल का किसी के पास जवाब नहीं।

मेमू ट्रेन।

मेमू ट्रेन। 

विस्तार

रेलवे बोर्ड की हरी झंडी के छह महीने बाद भी मेमू पटरी पर नहीं आ सकीं। महंगे सफर से परेशान यात्रियों को रेलवे प्रशासन अब गुगली फेंक-फेंककर चौंका रहा है। दलील दी जा रही है कि नए रैक आने के बाद ही इन ट्रेनों को दौड़ाया जाएगा। पर, ये रैक कब आएंगे…इस सवाल का जवाब अधिकारियों के पास नहीं है। चारबाग व लखनऊ जंक्शन से मेमू पिछले दो साल से बंद हैं। इससे रोजाना 45 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते रहे हैं।

कोरोना संक्रमण के चलते मेल-एक्सप्रेस, सुपरफास्ट सहित मेमू व पैसेंजर ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया था। संक्रमण की रफ्तार थमी तो पैसेंजर ट्रेनों को बहाल कर दिया गया, लेकिन मेमू पटरी पर नहीं आ सकीं। दैनिक यात्री एसोसिएशन ने मेमू ट्रेनों को चलाने के लिए संघर्ष किया। इसके बाद रेलवे बोर्ड ने सभी जोन को कोविड की तैयारियों को देखते हुए मेमू के संचालन के अनुमति दे दी। कुछ रेलवे जोन मेमू शुरू भी कर दी, लेकिन लखनऊ आने-जाने वाले यात्रियों को इसकी सुविधा नहीं मिल सकी। बोर्ड के आदेश को छह महीने हो चुके हैं। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल प्रशासन के अनुसार मेमू ट्रेनों को चलाने की तैयारियां पूरी हैं। लेकिन नए रैक के इंतजार में संचालन रुका हुआ है।

पहले अटका प्रस्ताव, अब कोविड खत्म होने के बाद मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन शुरू होने के बाद मेमू के लिए डिमांड बढ़ी। इसके बाद रेलवे प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार कर बोर्ड को भेजा। दो से तीन महीने तक प्रस्ताव अटका रहा। इसे लेकर रेलवे अधिकारी बहाना बनाते रहे। फिर जब रेलवे बोर्ड से अनुमति मिल गई तो अब अधिकारी नए रैक के इंतजार में बैठे हुए हैं।

अफसरों का कहना है कि नया रैक पहले से उन्नत व बेहतर है, इससे यात्रियों को बेहतर सफर का एहसास होगा। हालांकि, दैनिक यात्री एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस उप्पल नए रैक के लिए इंतजार की प्रशासन की दलील से नाइत्तफाकी जताते हैं। उनका कहना है कि रैक के इंतजार में मेमू नहीं चलाने से बेहतर होगा कि पुराने के साथ ही चलाया जाए, ताकि यात्रियों राहत मिले।

इतने दैनिक यात्री हो रहे परेशान
रेलखंड                     यात्री
लखनऊ से कानपुर         38000
लखनऊ से हरदोई           3000
लखनऊ से सुल्तानपुर          1500
लखनऊ से बाराबंकी            2000

21 जोड़ी मेमू का होता था संचालन

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि 21 जोड़ी मेमू ट्रेनों का संचालन होता था। इससे रेलवे को रोजाना 3.60 लाख रुपये की आमदनी होती थी। जबकि मेल-एक्सप्रेस से 65 हजार यात्री सफर करते हैं, जिनसे साठ लाख रुपये तक की आमदनी लखनऊ के प्रमुख स्टेशनों से होती रही है।

इतना महंगा है सफर
रूट                             ट्रेन                बस
लखनऊ से कानपुर           20 रुपये           118 रुपये
लखनऊ से हरदोई            25 रुपये            127 रुपये
लखनऊ सुलतानपुर           35 रुपये            192 रुपये
लखनऊ बाराबंकी            10 रुपये             52 रुपये
(नोट: मेमू ट्रेन का किराया कोविड के पूर्व का है।)

नए रैक आने के बाद ही आएगी पटरी पर
उत्तर रेलवे के डीआरएम एसके सपरा का कहना है कि मेमू ट्रेनों को चलाने की तैयारी रेलवे प्रशासन की ओर से की जा चुकी है। पर, इन्हें नए रैक केसाथ चलाया जाएगा। नया रैक आने के बाद ही मेमू पटरी पर उतर सकेगी।