उत्पादन निगम के प्रबंधन व प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी प्रदेश के बिजली घर कोयले के गंभीर संकट से उबर नहीं पाए हैं। हालात सुधारने की दिशा में किए जा रहे जतन फेल होने से चिंता बढ़ने लगी हैं। यही हाल रहा तो बरसात के मौसम में कोयले के अभाव में इकाइयों को बंद करने की भी नौबत आ सकती है।
पिछले चार महीने से बिजली घरों में जारी कोयला संकट समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा। गर्मी के समय में अधिक से अधिक कोयले की आपूर्ति कर विद्युत गृह प्रबंधन बरसात के लिए माकूल कोयले का स्टॉक बनाने में जुटा रहता है। मगर इस वर्ष मार्च से ही आवश्यकता के आधा कोयले की आपूर्ति से बिजली घरों में कोयले का स्टॉक खतरनाक स्थिति में आ गया है। स्थिति यह है कि सरकार के कोल खदानों के मुहाने पर स्थित बिजली घर 30 दिन के कोयला स्टॉक के मानक के आसपास भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। किसी में एक, किसी में दो तो किसी बिजली घर में महज आधे दिन का कोयले स्टॉक रह गया है।
पर्याप्त कोयला नहीं होने के कारण निजी क्षेत्र की लैंको सहित कई इकाइयों को महीने भर से कम लोड पर चलाया जा रहा है। बरसात के मौसम में कोयला खनन के साथ डिस्पैच का कार्य भी प्रभावित रहता है। ऐसे में अभी से ही कोयला संकट से जूझ रही इकाइयों से बरसात में उत्पादन प्रबंधन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
लोडिंग प्वाइंट पर दबाव से आ रही दिक्कत
बताया जा रहा है कि कोयला लोडिंग प्वाइंट पर बढ़ते दबाव के कारण वहां से सुचारू लोडिंग का कार्य प्रभावित हो रहा है। कोयला लोड करने में भी पावर प्लांटों की जगह निजी उपभोक्ताओं को तरजीह दी जा रही है। ऐसे में विद्युत गृहों को अपेक्षाकृत कम लोड प्राप्त हो रहा है। लोगों ने कोल परियोजना प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए कोयला लोडिंग में बिजली घरों को वरीयता प्रदान करने की मांग की है।
निगम के बिजली घरों में कोल स्टॉक व दैनिक आवश्यकता की स्थिति
परियोजना: कोल स्टाक: दैनिक आवश्यकता
अनपरा: 1.34 लाख एमटी 40 हजार एमटी
ओबरा: 86 हजार एमटी 12500 एमटी
पारीछा: 33 हजार एमटी 14800 एमटी
हरदुआगंज: 15 हजार एमटी 15500 एमटी
सडक मार्ग से अपेक्षित कोयले की आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। इससे समस्या कायम है। इसके बाद भी शीर्ष प्रबंधन के निर्देशन में निरंतर कोशिश की जा रही है। कोयले के अभाव में कोई इकाई बंद न हो, इसकी पूरी कोशिश है। उम्मीद है जल्द स्थिति सामान्य हो जाएगी।