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ऐसे करेंगे कोरोना तीसरी लहर का सामना! विशेषज्ञ डाॅक्टरों के 57 फीसदी पद खाली

उत्तराखंड राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 57 फीसदी पद खाली चल रहे हैं। टिहरी, चमोली और पौड़ी जैसे पर्वतीय जिलों में तो स्थिति और भी खराब है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच विशेषज्ञ डॉक्टरों की यह कमी राज्य वासियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।  स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के कुल 1147 स्वीकृत पद हैं जिसमें से 30 अप्रैल तक 493 पदों पर डॉक्टर तैनात थे जबकि 654 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद खाली चल रहे हैं। यानी राज्य में कुल स्वीकृत पदों के 43 फीसदी डॉक्टर ही तैनात हैं।  ऐसे में डॉक्टरों के पद बड़ी संख्या में खाली होने से कोरोना संक्रमण बढ़ने पर मरीजों की मुश्किल बढ़ना तय है।

एसडीसी फाउंडेशन की ओर से शनिवार को इस संदर्भ में रिपोर्ट जारी की गई है। एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग से सूचना के अधिकार में लिए गए डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की गई है।  टिहरी में विशेषज्ञ के 87 फीसदी पर खाली :टिहरी जिले में विशेषज्ञ डॉक्टरों के कुल 98 पद स्वीकृत हैं जिसमें से यहां अपै्रल में 13 ही कार्यरत थे। जिले में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 87% पद खाली हैं। राज्य में फिजीशियन मात्र 14 प्रतिशत, बाल रोग विशेषज्ञ केवल 41 प्रतिशत और स्त्री रोग विशेषज्ञ 36 प्रतिशत हैं। 

22 हजार मरीजों पर एक विशेषज्ञ डॉक्टर 
राज्य की मौजूदा आबादी को यदि एक करोड़ दस लाख माना जाए तो वर्तमान में कार्यरत विशेषज्ञ डॉक्टरों के हिसाब से प्रदेश में प्रति एक विशेषज्ञ डॉक्टर पर 22 हजार से अधिक मरीजों का बोझ है। हालांकि नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में पूरे देश की स्थिति बेहद खराब है। देश के कई राज्यों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 82 प्रतिशत तक पद खाली है। यदि यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो या अन्य सुपर स्पेशलिटी की बात की जाए तो फिर स्थिति और भी अधिक खराब है। नीति आयोग ने भी देश में महिला रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और फिजिशीयन के पद बड़ी संख्या में खाली होने पर चिंता जताई है।

राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की यह कमी बेहद चिंताजनक है। कोरोनाकाल में सरकार को जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों पर भर्ती के प्रयास करने चाहिए। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से कोविड-19 से लड़ाई के प्रयास बेअसर साबित हो सकते हैं। इन स्थितियों का ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।  
अनूप नौटियाल, संस्थापक एसडीसी फाउंडेशन 

पिछले चार सालों में 1400 के करीब डॉक्टरों की नियुक्ति की गई, कई पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। अस्पतालों में सुविधा और संसाधन में कई गुना बढ़ाए गए हैं। आने वाले समय में इन सुविधाओं में बढ़ाया जाएगा।