नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं और उससे पहले सर्वोच्च न्यायालय में आज उनके काम का आखिरी दिन है। कल शनिवार है और परसों रविवार को 17 नवंबर है जिस दिन गोगोई चीफ जस्टिस के पद से रिटायर होने वाले हैं। 3 अक्टूबर 2018 को चीफ जस्टिस की कुर्सी संभालने वाले गोगोई ने अपने कार्यकाल में कुछ बहुत बड़े फैसले सुनाए हैं और उनमें से एक अयोध्या राम मंदिर मामला है। दशकों से चले आ रहे इस मामले में अपने रिटायरमेंट से पहले उन्होंने अपनीअध्यक्षता वाली बेंच ने के माध्यम से सधा हुआ फैसला सुनाया है। इसके अलावा उन्होंने सबरीमाला मंदिर, राफेल डील जैसे बड़े मामलों में भी फैसले सुनाए हैं। चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल यादगार रहेगा। आईए नजर डालते हैं उनके कुछ बड़े फैसलों और उनके जीवन सफर पर
अयोध्या केस
अयोध्या केस में चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई और उनकी बेंच ने 9 नवंबर को बड़ा फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन रामलला विराजमान को देते हुए मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन कहीं और देने के आदेश दिए थे। साथ ही बेंच ने सरकार को निर्देश देते हुए मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में ट्रस्ट का गठन करने के निर्देश दिए थे। यह देश के सबसे पुराने मामले में सबसे बड़ा फैसला था।
सबरीमाला मंदिर
सबरीमाला मंदिर मामले में हालांकि, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने पूर्व के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को बड़ी बेंच में सुनवाई के लिए भेज दिया लेकिन अपने पुराने फैसले को जस का तस रखा है। 28 सितंबर 2018 को दिए अपने बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी जिसके खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल हुई थीं और रंजन गोगई की बेंच ने इस मामले में 14 नवंबर को निर्देश देते हुए पुराना फैसला लागू रखा और केस बड़ी बेंच को भेज दिया।