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रोटी कपड़े की तलाश में दर दर भटक रहे बिहार के 2389 बच्चे, नहीं जा पा रहे स्कूल

सिर से पिता का साया या मां की ममता खोने के बाद बिहार के 2389 बच्चे बदहाली में अपना जीवन काट रहे हैं। रोटी कपड़े की तलाश में दर दर भटक रहे बच्चे स्कूल भी नहीं पहुँच पा रहे हैं। शिक्षा विभाग ने अब जाकर इन बच्चों को स्कूल भेजने का प्लान तैयार किया है। बाल कल्याण स्वराज पोर्टल पर इन बच्चों के नाम-पते के साथ सभी जिलों को सूची भेजी गई है।
कोरोना काल में अपने एक अभिभावक को खोने के बाद अधिकांश बच्चों की परवरिश मां कर रही है। पटना में सबसे अधिक 171 और मुजफ्फरपुर में 97 बच्चों की सूची दी गई हैं जो सिंगल पैरेंट के सहारे हैं। मुजफ्फरपुर समेत सात जिलों के डीईओ को निर्देश दिया गया है कि सिंगल पैरेंट से सहमति लेकर स्कूल में नामांकन के साथ ही इन बच्चों के आवासीय स्कूल में रहने की व्यवस्था करें। राज्य परियोजना निदेशक असंगबा चुबा आओ के निर्देश के बाद जिले के बच्चों को लेकर मुजफ्फरपुर के डीईओ अजय कुमार सिंह ने सभी बीईओ को इनकी सूची भेजकर नामांकन कराने का निर्देश दिया है। मुजफ्फरपुर में सिंगल पैरेंट के साथ रह रहे बच्चों में 55 फीसदी लड़के और 45 फीसदी लड़िकयां हैं। राज्य परियोजना निदेशक ने पटना, मुजफ्फरपुर के साथ बांका, गया, नवादा, औरगांबाद व जमुई के डीईओ को इन बच्चों के लिए आवासीय स्कूल में व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। सूबे की राजधानी पटना में सबसे ज्यादा १७१ बच्चे, मुजफ्फरपुर में 97, मुंगेर में 78, समस्तीपुर में 79, शिवहर में 16, पूर्वी चंपारण में 39, गया में 73, मधेपुरा में 48, नवादा में 24, मधुबनी में 47, पूर्णिया में 58, बांका में 70, पश्चिम चंपारण में 37, वैशाली में 23 और सुपौल में 30 बच्चे सिंगल पैरेंट के सहारे हैं। इन बच्चों में ज्यादातर मां पर आश्रित होकर ही जीवन काट रहे हैं।