इस डिवाइस को मरीज के पेट में लगाया जा सकता है और यह हृदय की सहायता से चलेगी। इसका काम मुख्य तौर पर खून को फिल्टर करना और किडनी के दूसरे कामों को अंजाम देना है। जैसे, हार्मोन्स का उत्पादन और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में मदद करना। यह डिवाइस डायलिसिस की तरह खून से केवल टॉक्सिन्स को अलग नहीं करती बल्कि इसके पास एक मेम्ब्रेन भी है जो ब्लड को फिल्टर करता है और बायो-रिएक्टर किडनी की कोशिकाओं में भी रक्त प्रवाहित करता है।
उन्होंने कहा, ‘यह डिवाइस कन्वेंशनल डायलिसिस के मुकाबले किडनी के काम को बेहतरीन तरीके से करती है।’
भारत में हर साल लगभग 2.5 लाख लोग किडनी की बीमारी की वजह से काल के गाल में समा जाते हैं। शुगर और हाई ब्लड प्रेशर ज्यादातर मामलों में दो प्रमुख कारण उभरकर सामने आते हैं। दूसरी ओर खराब किडनी के मरीज का डायलिसिस के जरिए इलाज बहुत महंगा पड़ता है।
तमिलनाडु में जनवरी 2012 से मई 2016 के बीच 2.21 लाख से ज्यादा लोगों का इलाज डायलिसिस के जरिए हुआ और इसकी लागत 169.72 लाख रुपये करीब आई। डायलिसिस के अलावा 60,000 लोगों ने किडनी में पथरी और किडनी ट्रांसप्लांट का इलाज करवाया है।
हालांकि डॉक्टर शुवो रॉय ने इस डिवाइस की अनुमानित कीमत नहीं बताई, लेकिन उन्होंने कहा कि रेगुलर डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के मुकाबले इसकी कीमत बहुत कम होगी।